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Friday, November 2, 2018

Evening Azkar In Hindi

Bismillahirrahmanirrahim



 अज़कार अल-मसाअ – Evening Azkar

    शाम को पढने के अज़कार


इन अज़कार को रोज़  शाम आप पढ़ने की आदत बना लीजिये इन शा अल्लाह आपकी दुनिया और आख़िरत बेहतरीन हो जाएगी और आप बहुत सारी मुसीबतों, परेशानियों, और हादसों से मेहफ़ूज़ रहोगे


Complete Azkar Video: https://youtu.be/0AKWg9umn6w



1✦ आयात अल कुर्सी की फ़ज़ीलत
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✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो कोई इसको (आयात अल कुर्सी को) सुबह पढ़ लेगा तो शाम तक शैतान से महफूज़ रहेगा और जो शाम को पढ़ लेगा वो सुबह तक शैतान से महफूज़ रहेगा
अल-हाकीम , अल तरगीब वा अल तरहीब, 1/273- सही


أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ

اللَّهُ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ
لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ
مَن ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِندَهُ إِلَّا بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ
وَلَا يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهِ إِلَّا بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ
وَلَا يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيم

अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम, ला ताख़ुज़ुहू सीनातुन वाला नौम 
लहू मा फ़ीस समावाति वा मा फिल अर्द, मन ज़ल लज़ी यशफऊ इन्दहू इल्ला बि-इज़्निह, 
याअलमु मा बयना अय्दीहीम वा मा ख़ल'फ़हुम, वा ला युहीतूना  बिशयईन  मिन  इल्मिह
इल्ला बिमा शाअ, वसीया कुर्सीहुस सामावती वल अर्द वा ला याऊदूहू हिफ़ज़ूहूमा, 
वा हुवल अ'लिय्युल अ'ज़ीम. 
अल कुरान सुरह अल-बकरा (2), आयत 255
तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं , जिंदा हमेशा रहने वाला ,
उसको ना ऊंघ आती है ना नींद , जो कुछ आसमानों में और जो कुछ ज़मीन में है 
सब उसी का है ,कौन है जो उसकी इजाज़त के बगैर उस से सिफारिश कर सके,
जो कुछ लोगों के रूबरू (सामने) हो रहा है और जो कुछ उनके पीछे हो चूका है 
उसे सब मालूम है , और वो उसके मालूमात में से किसी चीज़ पर दस्तरस हासिल 
नहीं कर सकते मगर जितना के वो चाहे ,उसकी बादशाहत आसमान और ज़मीन सब पर हावी है , और उसे उनकी हिफाज़त कुछ भी दुशवार नहीं , 
वो बड़ा आली रुतबा और जलील और क़दर है



2✦ ये  तीन  सुरह  तुम्हे  हर  चीज़  के  लिए  काफी  हो  जाएगी
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✦ अब्दुल्लाह बिन खुबेब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया सुबह और शाम 3 बार सुरह अल-इख्लास और सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास पढ़ लिया करो, ये तुम्हें हर चीज़ के लिए काफ़ी हो जाएगी (यानि हर तरह की परेशानियो से बचने के लिए ये काफी हैं)
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1643-हसन
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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ

قُلْ هُوَ اللَّـهُ أَحَدٌ، اللَّـهُ الصَّمَدُ، لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ، وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ

क़ुल हूवल्लाहू अहद, अल्लाहुस-समद , लाम यालिद वालाम युलद, 
वालाम याकुल-लहू कुफ़ुवन अहद
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अल क़ुरान : कह दो वो अल्लाह एक है, अल्लाह बेनीयाज़ है, ना उसकी कोई औलाद है और ना वो किसी की औलाद है, और उसके बराबर का कोई नही है
अल क़ुरान , सुरह अल-इख्लास (112)
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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَ‌بِّ الْفَلَقِ، مِن شَرِّ‌ مَا خَلَقَ، وَمِن شَرِّ‌ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ،
 وَمِن شَرِّ‌ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ، وَمِن شَرِّ‌ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ

क़ुल आऊजू बिरब्बिल फलक, मीन शर्री मा खलक़
वा मीन शर्री गासीकीन ईज़ा वाक़ब वा मीन शर्रिन नफ्फासाती  फील उक़द
वा  मीन शर्री हासीदीन ईज़ा हसद
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अल क़ुरान : कह दो मैं सुबह के रब्ब की पनाह माँगता हूँ,
उसकी मखलक़ात की बुराई से, और अंधेरी रात की बुराए से जब वो छा जाए ,
और गिरहों (गांठों) में फूँकने वालियों की बुराई से, 
और हसद करने वालों की बुराई से जब वो हसद करे
सुरह अल-फलक़ (113) , आयात 1-5
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بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَ‌بِّ النَّاسِ، مَلِكِ النَّاسِ، إِلَـٰهِ النَّاسِ، مِن شَرِّ‌ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ،
الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ‌ النَّاسِ، مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ

क़ुल आऊजू बिराब्बिन-नास मालिकिन-नास, इलाहीन-नास
मीन शर्रिल वसवासिल खन्नास अल-लज़ी  युवासविसू  फ़ी सूदुरिन-नास
मिनल जिन्नती वान-नास
अल क़ुरान : कह दो मैं लोगो के रब की पनाह में आया,
लोगो के बादशाह की, लोगों के माबूद की, उस शैतान की बुराई से जो वसवसे डाल कर 
छुप जाता है, जो लोगों के सीनो में वसवसे डालता है, जिन्नों और इंसानो में से
अल क़ुरान , सुराह अन-नास (114) , आयत 1-6




3✦ शाम के वक़्त पढ़ने की दुआ
रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम जब शाम करते तो ये दुआ  फरमाते
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أَمْسَيْنَا وَأَمْسَى الْمُلْكُ لِلَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ
لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ،
لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
رَبِّ أَسْأَلُكَ خَيْرَ مَا فِي هَذِهِ اللَّيْلَةِ  وَخَيْرَ مَا بَعْدَهَا 
وَأَعُوْذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا فِي هَذِهِ اللَّيْلَةِ  وَشَرِّ مَا بَعْدَهَا 
رَبِّ أَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْكَسَلِ، وَسُوءِ الْكِبَرِ
رَبِّ أَعُوْذُ بِكَ مِنْ عَذَابٍ فِيْ النَّارِ وَعَذَابٍ فِيْ الْقَبْرِ  
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✦ अमसयना वा अमसल-मुल्कू   लिल्लाह, वल-हम्दुलिल्लाह  
वा ला ईलाहा ईललल्लाह  , वाहदाहू  ला शरीका लहू
लाहुल-मूल्कू वा लाहुल-हम्द , वा हुवा आला कुल्ली शयइन क़दीर. 

रब्बी असअलूका खयरा मा फ़ि हाज़िहिल-लयला , वा खयरा मा बाअदहा, 
वा आऊजूबिका मीन शर्री हाज़िहिल-लयला ,  वा शर्री मा बाअदहा, 
वा आऊजूबिका  मीनल-कासाल   वा सुईल-किबर, 
वा आऊजूबिका  मीन अजाबिन-नार, वा अज़ाबील-क़ब्र
--------------
✦ हम और सारा मुल्क शाम के वक़्त अल्लाह सुबहानहु का हुआ,  सारी हम्द  अल्लाह के लिए है,
अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नही वो अकेला है उसका कोई शरीक नही
सारी बादशाहत उसी की है , सारी तारीफ भी उसी के लिए है और वो हर चीज़ पर पूरी क़ुदरत रखने  वाला है
एह मेरे रब्ब में तुझसे उस भलाई का तलबगार हू  जो इस शाम में  है और जो इस के बाद है
और मैं  तुझसे पनाह माँगता हू  उस बुराई से जो इस शाम में है और जो इस के बाद है
एह मेरे रब्ब में तुझसे पनाह माँगता हूँ  सुस्ती से और बुढ़ापे की खराबी से
एह मेरे रब्ब में तुझसे पनाह माँगता हू जहन्नम के अज़ाब से और क़ब्र  के अज़ाब से
सही मुस्लिम, जिल्द 6, 6907




4✦ शाम के वक़्त पढ़ने की दुआ
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✦ अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शाम हो तो ये दुआ पढ़ा करो

اللَّهُمَّ بِكَ أَمْسَيْنَا وَبِكَ أَصْبَحْنَا وَبِكَ نَحْيَى وَبِكَ نَمُوتُ وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ

अल्लाहुम्मा बिका अमसयना वा बिका असबहना वा बिका नहया वा बिका नमुतु वा इलयक अन-नुशुर

या अल्लाह हमने तेरे नाम से शाम की और तेरे ही नाम से सुबह की , और तेरे ही नाम पर हम जीते हैं और तेरे ही नाम पर मरेंगे और तेरी ही तरफ लौट कर जाना है
सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 749-सही




5 ✦ सय्यद-अल-अस्तिगफार
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 ✦ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया 
सय्यद-अल-अस्तिगफार: अल्लाह से मगफिरत मांगने का सबसे अच्छा तरीक़ा) ये है जिसने इस दुआ के अल्फाज़ पर यकीन रखते हुए दिन में इसको पढ़ लिया और उसी दिन शाम होने से पहले उसकी मौत हो गयी तो वो जन्नती है और जिसने इस दुआ के अल्फाज़ पर यकीन रखते हुए रात में इसको पढ़ लिया और फिर सुबह होने से पहले उसकी मौत हो गयी तो वो जन्नती है

اللَّهُمَّ أَنْتَ رَبِّي، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ، خَلَقْتَنِي وَأَنَا عَبْدُكَ، وَأَنَا عَلَى عَهْدِكَ وَوَعْدِكَ مَا اسْتَطَعْتُ،
 أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا صَنَعْتُ، أَبُوءُ لَكَ بِنِعْمَتِكَ عَلَىَّ وَأَبُوءُ لَكَ بِذَنْبِي،
 فَاغْفِرْ لِي، فَإِنَّهُ لاَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إِلاَّ أَنْتَ

✦ तर्जुमा : एह अल्लाह तू मेरा रब है तेरे सिवा कोई माबूद नहीं , तूने ही मुझे पैदा किया है और मैं तेरी ही बंदा हूँ , मैं अपने ताक़त के मुताबिक़ तुझसे किये हुए अहद 
और वादे पर क़ायम हूँ , मैं तुझसे उस चीज़ की शर (बुराई) से पनाह मांगता हूँ 
जिसका मैंने इरतकाब किया , मैं तेरे सामने तेरी नेमतों का इकरार करता हूँ जो मुझे अता की हैं
और मैं अपने गुनाहों का इकरार करता हूँ, तू मुझे माफ़ कर दे , बेशक तेरे सिवा गुनाहों को कोई माफ़ करने वाला नहीं है
सही बुखारी, जिल्द 7 हदीस 6306




6✦ जिस शख्स ने 3 बार ये कहा तो अल्लाह उसको पूरी तरह आग से आज़ाद फरमा देते हैं
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✦ सलमान फ़ारसी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस शख्स ने 1 बार ये कलिमात कहे तो अल्लाह सुबहानहु उसका एक तिहाई (1/3) हिस्सा आग से आज़ाद फरमा देते हैं, जिस शख्स ने 2 बार ये कलिमात कहे तो
अल्लाह सुबहानहु उसका दो तिहाई (2/3) हिस्सा आग से आज़ाद फरमा देते हैं जिस शख्स ने 3 बार ये कलिमात कहे तो अल्लाह सुबहानहु उसको पूरी तरह आग से फरमा देते हैं
अल-सिलसिला-अस-सहिहा, 2887 , अल दावत अल कबीर , बैहिकी , 184 हसन

اللَّهُمَّ إِنِّي أُشْهِدُكَ وَأُشْهِدُ مَلَائِكَتَكَ وَحَمَلَةَ عَرْشِكَ، وَأُشْهِدُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَمَنْ فِي الْأَرْضِ،
أَنَّكَ أَنْتَ اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ وَحْدَكَ لَا شَرِيكَ لَكَ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُكَ وَرَسُولُكَ

✦ अल्लहुम्मा इन्नी उशहिदुका वा उशहिदु मलईकाताका वा हमालता अरशीक
वा उशहिदु मन फ़िस-समावाती वा मन फ़िल-अर्द
अन्नका अन्ता अल्लाह ला ईलाहा इल्ला अन्त .वाहदका का ला शरीका लक, 
वा अशहदू अन्ना मुहम्मदन अबदुका वरसूलूक
✦ एह अल्लाह मैं तुझे गवाह बनाता हूँ, और तेरे फरिश्तों और तेरा अर्श उठाने वालो को गवाह बनाता हूँ, और आसमान और ज़मीन में मौजूद मखलूक़ को गवाह बनाता हूँ, 
की तू ही अल्लाह है और तेरे सिवा कोई सच्चा माबूद नही, तू अकेला है, तेरा कोई शरीक नही और मैं गवाही देता हूँ की मुहम्मद सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम तेरे बंदे और रसूल है




7✦ जिस  ने शाम  के  वक़्त  ये  दुआ  पढ़ी  तो  उसने  उस शाम का  शुक्र अदा  कर  दिया
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इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हुमा से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम  ने फ़रमाया जिस ने शाम के वक़्त ये दुआ पढ़ी तो उसने उस दिन का शुक्र अदा कर दिया

اللَّهُمَّ مَا أمسى بِي مِنْ نِعْمَةٍ ، أَوْ بِأَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ ، فَمِنْكَ وَحْدَكَ لا شَرِيكَ لَكَ ، فَلَكَ الْحَمْدُ وَلَكَ الشُّكْرُ

अल्लाहुम्मा मा  अमसा  बी मीन  निअमतीन अव बी-अहदिन मीन  खलक़ीका,  फा मिनका वाहदका ला शरीका लका ,फलकाल-हम्द , वा लकाअश-शुक्र
✦  या अल्लाह शाम को जो नैमत मेरे पास है या तेरी किसी मखलूक़ के पास है वो तेरी ही दी हुई है , तू अकेला है तेरा कोई शरीक नही , तेरे ही लिए सारी तारीफें हैं और तेरे ही लिए शुक्र है.
सही इब्न हीब्बान , 868-हसन
शुअब-उल-ईमान , अल बैहिक़ी 4053-सही
अल-सुनन अल-कुबरा ,अन-नसाई , 9447-सही




8✦ बदन के आफ़ियत (सलामती) की दुआ
--------------
अब्दुल रहमान बिन अबू बक्र रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की उन्होने अपने वालिद से पूछा की अब्बू जान मैं आपको हर सुबह और शाम को तीन मर्तबा ये दुआ पढ़ते हुए सुनता हूँ

اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَدَنِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي سَمْعِي اللَّهُمَّ عَافِنِي فِي بَصَرِي لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ

✦ अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बदानी, अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि समई, 
अल्लाहुम्मा आफिनी फ़ि बशारी, ला ईलाहा इल्ला अन्ता
✦ या अल्लाह तू मेरे बदन में आफियत अता फरमा, 
या अल्लाह तू मेरे कानों में आफियत अता फरमा,
या अल्लाह तू मेरी निगाहों में  आफियत अता फरमा, तेरे सिवा कोई माबूद नही 
तो उन्होने कहा की मैने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम को यही दुआ पढ़ते हुए सुना है और मुझे पसंद है की मैं उनकी सुन्नत पर अमल करता रहूँ
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1649-हसन




9✦ दुनिया और आखिरत में आफ़ियत और कामयाबी की दुआ
-----------------------------
✦ अब्दुल्लाह इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने सुबह और शाम को इन दुआओं को पढ़ना कभी नही छोड़ा

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَافِيَةَ فِي الدُّنْيَا وَالآخِرَةِ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَفْوَ وَالْعَافِيَةَ فِي دِينِي وَدُنْيَاىَ وَأَهْلِي وَمَالِي
اللَّهُمَّ اسْتُرْ عَوْرَتِي ‏‏ وَآمِنْ رَوْعَاتِي  اللَّهُمَّ احْفَظْنِي مِنْ بَيْنِ يَدَىَّ وَمِنْ خَلْفِي
وَعَنْ يَمِينِي وَعَنْ شِمَالِي وَمِنْ فَوْقِي  وَأَعُوذُ بِعَظَمَتِكَ أَنْ أُغْتَالَ مِنْ تَحْتِي

अल्लाहुम्मा इन्नी अस'अलुकाल-अफवा वल-आफिया फ़ीद-दुनिया वल-आख़िराह
अल्लाहुम्मा इन्नी अस'अलुकाल-अफवा वल-आफिया फ़ि दिनी वा दुनियायी, 
वा अहली वा माली अल्लाहुम्मस्तूर औराती, वा आमीन रौआती, 
अल्लाहुम्मा अहफज़नी मीन बयनी यदयया वा मीन खालफि, 
वा आन यामिनी वा आन शिमाली, वा मीन फौक़ी, 
वा  आऊज़ुबिआज़मातिका अन उगताला मीन तहती

✦ एह अल्लाह में तुझसे दुनिया और आख़िरत में आफियत का सवाल करता हूँ
एह अल्लाह मैं तुझसे अपने दीन और दुनिया और अपने घरवालो में और अपने माल में माफी और आफियत का सवाल करता हूँ, एह अल्लाह मेरे ऐब छुपा दे,
मेरे दिल को मुतमईन  कर दे और मेरे आगे और पीछे और दायें और बायें और 
उपर से मेरी हिफ़ाज़त फरमा और मैं तेरी पनाह चाहता हूँ तेरी अज़मत के साथ , 
की नीचे से हलाक किया जाऊं यानी ज़मीन में धंसा दिया जाऊं
सुनन अबू दाऊद,जिल्द 3, 1637-सही



10✦ अपने नफ़्स और शैतान की बुराई से बचने की दुआ
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अबू बक्र रदी अल्लाहू अन्हु ने रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम से कहा की मुझे सुबह और शाम को कोई दुआ पढ़ने का हुक्म दे दीजिए तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया इस दुआ को तुम सुबह को शाम को और सोते वक़्त पढ़ लिया करो

اللَّهُمَّ عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَاطِرَ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ رَبَّ كُلِّ شَيْءٍ وَمَلِيكَهُ
أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ نَفْسِي وَمِنْ شَرِّ الشَّيْطَانِ وَشِرْكِهِ

✦ अल्लहुम्मा आलीमल-गैबी वा अश-शहादती फ़ातिर अस-सामावती वा अल-अर्द,
रब्बा कुल्ली शैइन वा मालिकाहु, अश्-हदू अन ला ईलाहा इल्ला अन्ता
आवुजूबिका मीन  शर्री नफसी वा मीन शर्रीश-शैतानि वा शिरकीह

✦ तर्जुमा: एह अल्लाह एह गैब और खुली बातो को जानने वाले, आसमान और ज़मीन को पालने वाले, हर चीज़ के रब्ब और मालिक, मैं गवाही देता हूँ की तेरे सिवा कोई माबूद नही, 
मैं तुझसे अपने नफ्स की बुराई और शैतान की बुराई और उसके शिर्क से पनाह माँगता हूँ
जामिया तिरिमिज़ी, 1316 जिल्द 2-सही



11✦ नागहानी  मुसीबत  यानि  अचानक  आने  वाली  मुसीबत  से  बचने  की  दुआ
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بِسْمِ اللَّهِ الَّذِي لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهِ شَيْءٌ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَاءِ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ

बिस्मिल्लहिल्लज़ी ला यदुर्रू मा-असमीही शयउन फील-अर्दी वा ला फिस-समाई , 
वा हुवा अस समीउल-अलीम
अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जिसके नाम की बरकत से ज़मीन और आसमान की कोई चीज़ नुकसान नही पहुंचा सकती और वही सुनने वाला और जानने वाला है

✦ अबान बिन उसमान रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की मैने उसमान रदी अल्लाहू अन्हु से सुना रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अललीही वसल्लम ने फरमाया जिसने (शाम को) 3 मर्तबा ये दुआ पढ़ी उसे सुबह तक कोई नागहानी (अचानक) मुसीबत नही पहुचेगी और जिसने सुबह को 3 मर्तबा ये दुआ पढ़ी उसको शाम तक उसको कोई नागहानी (अचानक) मुसीबत नही पहुचेगी
✦ अबान बिन उसमान रदी अल्लाहू अन्हु को फालीज़ यानि लकवा हो गया था तो वो शख्स जिसने उनसे ये हदीस रिवायत की थी वो उन्हे देखने लगा तो अबान रदी अल्लाहु अन्हु ने उनसे फरमाया की तुझे क्या हो गया  है की इस तरह मेरी तरफ देखता है, अल्लाह की कसम मैने ना तो उसमान रदी अल्लाहू अन्हु पर और ना रसूल-अल्लाह सललाल्लाहू अलैही वसल्लम पर झूट बाँधा है लेकिन जिस रोज़ मुझे ये फालीज़ (लकवा) हुआ उस रोज़ मैं गुस्से में था और ये दुआ पढना भूल गया 
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1647 –सही




12 ✦ जो  इस  दुआ  को  सुबह  शाम  पढ़ेगा  तो  अल्लाह  सुब्हानहु  क़यामत  के  दिन  उसको  जरूर  खुश  फरमा  देंगे
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम के खादिम, अबू सलाम रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो भी मुसलमान या इंसान 
(या बंदा) सुबह शाम ये कलिमात कहे तो अल्लाह सुबहानहु उसको क़यामत के दिन ज़रूर खुश फरमा देंगे

رَضِيتُ بِاللَّهِ رَبًّا وَبِالإِسْلاَمِ دِينًا وَبِمُحَمَّدٍ نَبِيًّا

रदितु बिल्लाहि रब्बा वा बिल-इस्लामी दीना वा बिमुहम्मदीन नबीयया
तर्जुमा : मैं राज़ी हूँ अल्लाह के रब होने पर, इस्लाम के दीन होने पर और मुहम्मद सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम के नबी होने पर
सुनन इब्न माजा, जिल्द  3, 751-हसन, सही इब्न हिब्बान , 870




13✦ सुबह और शाम और परेशानी के वक़्त पढ़ने की दुआ
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़ातिमा रदी अल्लाहू अन्हा से फरमाया जब तुम सुबह या शाम करो तो इस तरह कहा करो

يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ بِرَحْمَتِكَ أَسْتَغِيثُ وَأَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّه، وَلَا تَكِلْنِي  إلى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ أَبَدًا

✦ या हय्यू या क़य्यूम, बि-राहमातिका अस्तगीस, वाअसलिहली शाअनि कुल्लाहू, 
वाला ताकिलनी इला नफसी तरफता अयनिन अबादा
✦ एह ज़िंदा हमेशा क़ायम रहने वाले तेरी रहमत के ज़रिए से फ़रियाद करता हूँ, मेरे तमाम हालात दुरुस्त कर दे और कभी भी पलक झपकने के बराबर भी मुझे मेरे नफ़स के हवाले ना कर.
अल सिलसिला अस साहिहा, 2942




14✦ सुबहान अल्लाहिल अज़ीम वा बिहम्दिही कहने की फ़ज़ीलत
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سُبْحَانَ اللّهِ الْعَظِيمِ وَ بِحَمْدِهِ

सुबहान अल्लाहिल अज़ीम वा बिहम्दिही
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✦ रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो शख्स सुबह के वक़्त 100 बार सुबहान अल्लाहिल अज़ीम वा बिहम्दिही पढ़ेगा और उसी तरह शाम को भी (100 बार) पढ़ेगा तो उसके बराबर मख्लूक़ में से किसी का दर्जा नहीं होगा
सुनन अबू दाऊद जिल्द 3 हदीस 1650- हसन



15✦ रसूल -अल्लाह  सल-अल्लाहु  अलैहि  वसल्लम  ने  फ़रमाया  जिस  ने  ये  कलमा  दिन  में  10 मर्तबा  पढ़  लिया उसको इतना सवाब होगा जैसे हज़रत इस्माईल अलैहि सलाम की औलाद में से 4 गुलामों को आज़ाद करवाया
सही मुस्लिम , जिल्द 6, 6844
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✦ لا اِلهَ اِلَّا اللّهُ وَحْدَهُ لا شَرِيكَ لَهُ ، لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ وَ هُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ✦

✦ ला ईलाहा ईलअल्लाह वाह्दहू ला शरीका लहू, लहू-ल-मुल्क वा लहू-ल-हम्द वा हुवा आला कुल्ली शै'इन क़दीर
अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है, वो तन्हा है उसका कोई शरीक नहीं है, उसी के लिए 
बादशाही है और उसी के लिए तारीफें हैं और  वो  हर  चीज़  पर  कुदरत  रखने  वाला  है



16✦ तौबा अस्तगफार की फ़ज़ीलत
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने  ये कलिमत कहे तो उसके गुनाह माफ़ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदान ए जंग से भाग गया हो

أَسْتَغْفِرُ اللَّهَ الَّذِي لاَ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ الْحَىُّ الْقَيُّومُ وَأَتُوبُ إِلَيْهِ

अस्तगफिरुल्लाहल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल-कय्यूम वा अतुबू इलैही
तर्जुमा : मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगता हूँ जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हूँ
सुनन अबू दाऊद , जिल्द 1, 1504 –सही




17✦ ज़हरीले जानवरों और चीज़ों से हिफाज़त की दुआ 
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रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो शख्स शाम को 3 मर्तबा ये दुआ पढ़ेगा तो उसको उस रात कोई भी ज़हरीली चीज़ नुक़सान नही पहुचायेगी

أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ

आऊज़ु बी कालिमातिल्लाहित-त़ाम्माती मीन शर्री मा खलक़
पनाह मांगता हूँ मैं अल्लाह की, पुरे कालीमात के जरिये , 
हर उस चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की है
जामिया तीरीमीज़ी, जिल्द 2, 1528-सही
नोट: अक्सर उल्माओं का कहना है की अगर कोई इस दुआ को सुबह भी 3 बार पढ़ लेगा तो शाम तक उसको कोई ज़हरीली चीज़ नुक़सान  नही पहुचायेगी




18✦ जहन्नम की आग से आज़ादी दिलाने वाली दुआ
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जब तुम सुबह की नमाज़ से 
फारिग हो जाओ तो 7 बार ये दुआ पढ़ो

اللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنَ النَّارِ

अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार - एह  अल्लाह मुझे जहन्नम की आग से बचा
अगर तुमने  ये दुआ पढ़ ली और उस दिन तुम्हारी वफात हो गयी तो तुम्हारे लिए जहन्नम की आग से आज़ादी लिख दी जाएगी
और जब मगरिब की नमाज़ से फारिग हो जाओ तब भी 7 बार ये ही दुआ पढ़ लिया करो , 
अगर तुमने  ये दुआ पढ़ ली और रात में तुम्हारी वफात हो गयी तो तुम्हारे लिए 
जहन्नम की आग से आज़ादी लिख दी जाएगी
अल-मुअजम अल-कबीर, तब्रानी, 16425, हसन 
नताइज अल-अफक़ार  ,1/162, हाफ़िज़ इब्न हज़र –हसन



19✦ सुबह  और  शाम  को रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु  अलैहि  वसल्लम  पर  10 बार  दुरुद  भेजने  की  फ़ज़ीलत
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रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम   ने फरमाया जो शख्स मुझ पर सुबह 10 बार और शाम को 10 बार दुरुद भेजेगा तो उसको क़यामत के दिन मेरी शफाअत हासिल होगी
सही अल जामे-6357-हसन ,सही अल तरगीब वा अल तरहीब, 659-हसन

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ

✦ अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद 
✦ एह अल्लाह मुहम्मद सल-अल्लाहू 
अलैही वसल्लम पर रहमत नाज़िल फरमा



Complete Azkar Video: https://youtu.be/0AKWg9umn6w







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